Monday, July 23, 2012

ओ मेरे पापा , ओ मेरी मम्मा



ओ मेरे पापा , ओ मेरी मम्मा

एक बात सुनाऊं मैं
मैं ही सत्य हूँ
मैं ही सुन्दर
शिव तुम्हारा भी हूँ मैं
तेरा सपना
और हकीकत
तेरा आकाश हूँ मैं ...
तेरा बचपन
और मुस्कान
तेरी ज़िन्दगी मैं ...
मुझसे ही है इन्द्रधनुष
कर्ण कवच सा मैं
अर्जुन सा हूँ लक्ष्य तुम्हारा
सप्तरिशी हूँ मैं
मुझसे ही है गीत तुम्हारे
तेरा स्वर हूँ मैं
मुझसे ही है तेरा गौरव
तेरा चेहरा हूँ मैं
तू मुझमें है
मैं तुझमें हूँ
देश छुपा है हममें
तू निर्माता
मैं हूँ निर्मित - तेरा मकसद हूँ मैं !

Thursday, July 1, 2010

काबुलीवाला


जेब में जादू का दीया और बाती
मिन्नी की मटकती आँखें
और काबुलीवाले का जादू...

गलती से बड़ी हुई मिन्नी
काबुलीवाले ने घुमाई छडी
छोटी बन गई मिन्नी

चंदामामा, बूढ़ी नानी
साथ में लेकर आए कहानी
सपनों की धरती
सपनों से ख्वाब
सपनों की दुनिया फिर से बनी है

तुम खेलोगे?
देखोगे जादू ?
तो मिन्नी के संग दो आवाज़
काबुलीवाले , काबुलीवाले
तेरी झोली में क्या है....

'एक झोली और ख्वाब अनेक'
होंगे तेरी मुठ्ठी में
आया देखो काबुलीवाला
सरहद के पार से .......

Monday, December 22, 2008

लहरें साथ देंगी.....

तुम्हारे पास लकड़ी की नाव नहीं ,
निराशा कैसी?
कागज़ के पन्ने तो हैं !
नाव बनाओ और पूरी दुनिया की सैर करो..........
हर खोज,हर आविष्कार तुम्हारे भीतर है ,
अन्धकार को दूर करने का चिराग भी तुम्हारे भीतर है
तुम डरते हो कागज़ की नाव डूब जायेगी , पर
अपने आत्मविश्वास की पतवार से उसे चलाओ तो
हर लहरें तुम्हारा साथ देंगी.........

Wednesday, December 17, 2008

बारिश की बूंदें.......

सुनो,सुनो......
मैं हूँ बारिश की बूंदें
बादलों में छुपकर बैठी
और लहराई शहर-शहर,
गाँव-गाँव और डगर-डगर,
सागर,नदी,पर्वत-पर्वत..........
जहाँ भी चाहा बरस गई,
मिट्टी की मादक गंध बन गई
छत से टप-टप का साज बजाया
कवि ह्रदय को गान दिया !
कहीं विरह का गीत बनी,
कहीं सुख की शीतलता
और कहीं प्रलय बन बैठी.........
मैं ही सुख हूँ,
मैं ही दुःख हूँ,
मैं हूँ बारिश की बूंदें.............................

Monday, December 15, 2008

देश की खातिर.....

सुबह हुई
उठ जाओ अब तुम
नए दिन का आरम्भ करो
गुरु,गोविन्द को शीश झुकाओ
मात-पिता का लो आशीष
याद करो फिर देश को अपने
करो प्रण अपने मन में------
'जो भी करें
बस देश की खातिर
देश का ऊँचा नाम करें
नहीं है कोई धर्म अलग
हर धर्म का सम्मान करें....'

Wednesday, September 3, 2008

नन्हे-मुन्नों के लिए.....(अम्मा की कलम से)

(१)
तिनके-तिनके से गौरैया
अपना नीड़ बसाती है
संध्या होने से पहले ही
दाना लेकर आती है
नीड़ में बच्चे शोर मचाते
भूख लगी माँ दाना दो
खिला-पिलाकर बच्चों के संग
सपनों में खो जाती है

(२)
रोज सवेरे सूरज आता पूरब में
किरणों की झांझर झनकाता पूरब में
बहती लाली आसमान के परदे पर
समय नहीं यह लेटे रहना गद्दे पर !

(३)गिन्कू खिलौने घर का राजा
करता है मनमानी
लूसी बनती भोली-भाली
पर है बड़ी सयानी
दद्दे देखभाल करता है
लगता पंडित ग्यानी
गिन्कू,लूसी के कहने पर
कहता रोज कहानी !

Monday, September 1, 2008

आओ....



मैं हूँ मोरनी अपने पापा की
नाचूँ देखो छम-छम-छम
अपनी माँ की मैं हूँ गुड़िया
उड़ती-फिरती हूँ सारे दिन
मेरी फ्रॉक में पाँच हैं जेबें
और उनमें है मीठी गोलियाँ
हम तुम दोस्त हैं पूरे पक्के
आओ मिलकर खाएँ हम......