Monday, July 23, 2012

ओ मेरे पापा , ओ मेरी मम्मा



ओ मेरे पापा , ओ मेरी मम्मा

एक बात सुनाऊं मैं
मैं ही सत्य हूँ
मैं ही सुन्दर
शिव तुम्हारा भी हूँ मैं
तेरा सपना
और हकीकत
तेरा आकाश हूँ मैं ...
तेरा बचपन
और मुस्कान
तेरी ज़िन्दगी मैं ...
मुझसे ही है इन्द्रधनुष
कर्ण कवच सा मैं
अर्जुन सा हूँ लक्ष्य तुम्हारा
सप्तरिशी हूँ मैं
मुझसे ही है गीत तुम्हारे
तेरा स्वर हूँ मैं
मुझसे ही है तेरा गौरव
तेरा चेहरा हूँ मैं
तू मुझमें है
मैं तुझमें हूँ
देश छुपा है हममें
तू निर्माता
मैं हूँ निर्मित - तेरा मकसद हूँ मैं !

7 comments:

  1. bacche hi to papa-mummy ke sansar hote hain...bauhat sunder :)

    ReplyDelete
  2. सुन्दर और बस सुन्दर |

    ReplyDelete
  3. आदरणीया रश्मि जी बहुत सुन्दर ....मन भावन .
    .तेरा सपना और हकीकत तेरा आकाश हूँ मै ....सटीक
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट आपका आमंत्रण है। धन्यवाद।

    ReplyDelete
  5. रश्मि जी बहुत उम्दा रचना...बहुत सटीक और उतनी ही सार्थक.....
    नयी रचना
    "एहसासों के "जनरल डायर"
    आभार

    ReplyDelete
  6. बहुत ही उम्‍दा रचना।

    ReplyDelete