(१)
तिनके-तिनके से गौरैया
अपना नीड़ बसाती है
संध्या होने से पहले ही
दाना लेकर आती है
नीड़ में बच्चे शोर मचाते
भूख लगी माँ दाना दो
खिला-पिलाकर बच्चों के संग
सपनों में खो जाती है
(२)
रोज सवेरे सूरज आता पूरब में
किरणों की झांझर झनकाता पूरब में
बहती लाली आसमान के परदे पर
समय नहीं यह लेटे रहना गद्दे पर !
(३)गिन्कू खिलौने घर का राजा
करता है मनमानी
लूसी बनती भोली-भाली
पर है बड़ी सयानी
दद्दे देखभाल करता है
लगता पंडित ग्यानी
गिन्कू,लूसी के कहने पर
कहता रोज कहानी !
Wednesday, September 3, 2008
Monday, September 1, 2008
आओ....
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