Wednesday, September 3, 2008

नन्हे-मुन्नों के लिए.....(अम्मा की कलम से)

(१)
तिनके-तिनके से गौरैया
अपना नीड़ बसाती है
संध्या होने से पहले ही
दाना लेकर आती है
नीड़ में बच्चे शोर मचाते
भूख लगी माँ दाना दो
खिला-पिलाकर बच्चों के संग
सपनों में खो जाती है

(२)
रोज सवेरे सूरज आता पूरब में
किरणों की झांझर झनकाता पूरब में
बहती लाली आसमान के परदे पर
समय नहीं यह लेटे रहना गद्दे पर !

(३)गिन्कू खिलौने घर का राजा
करता है मनमानी
लूसी बनती भोली-भाली
पर है बड़ी सयानी
दद्दे देखभाल करता है
लगता पंडित ग्यानी
गिन्कू,लूसी के कहने पर
कहता रोज कहानी !

Monday, September 1, 2008

आओ....



मैं हूँ मोरनी अपने पापा की
नाचूँ देखो छम-छम-छम
अपनी माँ की मैं हूँ गुड़िया
उड़ती-फिरती हूँ सारे दिन
मेरी फ्रॉक में पाँच हैं जेबें
और उनमें है मीठी गोलियाँ
हम तुम दोस्त हैं पूरे पक्के
आओ मिलकर खाएँ हम......

चिड़िया बोली पेड़ से
अपनी एक डाली मुझे दे दो
अपनी चुन चुन तान से
तेरा दिल बहलाउंगी.......
पेड़ ने कहा -
ओ प्यारी - सी भोली चिड़िया
जो भी डाली भली लगती हो
तुम ले लो उसको
अपने नन्हे बच्चों के संग
अपना ही घर समझो.....................